बहुत से बार FB पे कितने बकवास आये चाणक्य के नाम पर। जैसे उसने बोला कभी सीधा या सच्चा मत बनो क्योंकि सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं . पर ये ठीक बात नहीं। सचाई अक्सर सीधी नहीं होती। बहत ही टेढ़ा भी हो सकता है। क्या मतलब ?

कभी अपने माँ से पूछा हे अपने बाप के बारे में? हाँ, मेरे पिताजी बहत ही सीधे साधे किसम के थे अच्छे थे पढाई में नौकरी लग गयी और शादी हो गयी मेरी माँ से ! फिर में और मेरी हूबहू शक्ल कि बेहेन पैदा हुई ..

फिर से पूछ न अपनी माँ से !

तेरा बाप एक नंबर का बदमास था !

वोह शराब पीके चौक पे घूमने वाला था, एक बार तेरी माँ वहाँ से गुज़र रही थी, तेरा बाप (होने वाला बाप और होने वाली माँ) वहाँ अपने ३, ४ दोस्तों के साथ मौजूद था, अँधेरा हो गयी थी और तेरी माँ साईकिल पे जा रही थी, ये लोग देखे और कोई नहीं हे, तो ४ मिलके तेरी होने वाले माँ को अगवा कर लिया पास कि ईमारत में, तेरे लिए कितने पहले से सोच रहे थे नहीं?

बिलकुल।

फिर कुछ दिनों के बाद तेरे होने वाले बाप के घर में मामा जी आये, नहीं पुलिस वाला मामा, तेरा खुद का मामा तो बिदेश में रहता था न? आज तक इंडिया नहीं लौटा? जी हाँ। तुम्हे इतना सब कुछ कैसे पता? सुन न,पहले मेरी बात, फिर राय देना।

तेरे होनेवाली माँ के पेरेंट्स बिलकुल डरे सहमे सामाजिक उल्लू थे। समाज के डर से शादी करा दी तेरे होनेवाले पेरेंट्स कि।

फिर एक साल तक दोनों के कोई बच्चे नहीं हुए। तेरी माँ ने मन्नत मांगी, पुजारी ने ५००० ले लिया। एक महीने बाद पूजा करने के लिए बोला, पूजा में पता चला ग्रह शांति करनी पड़ेगी। ग्रह का नाम था काल-किशोर-नाशक (जस्ट फ्रॉम दी स्पर्म स्टेज).

फिर दोनों ने डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर बेतहासा हंस पड़ा, बोला कभी देखे हो मुझे किसी स्कुल के आस पास? नहीं। क्योंकि मेरे भी कोई बच्चे नहीं हुए और इस बात का फ़ायदा मेरी बीबी ने कोट में उठा लिया और फरार हो गयी। फरार हो गयी? जी हाँ मेरी शादी शुदा जिंदगी से। डिवोर्स ले ली राम जेठामालिनी के वक़ालत से। उस टाइम वोह सिर्फ एबॉर्शन या बच्चे न होने के केश लेता था।

तुम एक काम करो रामदेव के पतंजलि (क्या जली, कुछ भी जली) आश्रम में जाओ और दिव्य गर्भबती बाटिका लो।

फिर तेरे बाप ने लिया। (हाँ बाप के लेने पर माँ कि चान्सेस बढ़ती हे, अगर बाप पहले से ही शारीरिक या स्पर्मिक तौर पे अक्षयम् हे तो और भी अच्छा।)

नहीं अभी तक तू पैदा नहीं हुआ, तू इतना सीधा पैदा नहीं हुआ था, तुझे काटना कितना मुश्किल देख, में कितना लिख रहा हूँ। तेरे पेरेंट्स कि हॉप थी और सच में तू पैदा हुआ। लेकिन तू अपने बाप का औलाद नहीं। जब तेरा बाप पतंजलि जाता था, इसी मौके में तेरा पडोशी तेरे घर में आता था।

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