मुवकिल कि कत्ले-आम

  इनकी बड़ी बड़ी ऑंखें मुवकिल कि कत्ले-आम हो गयी
संतरा खाते खाते मजा-ए-नगमे ऐसे आयी शाम हो गयी


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