वफाएं और दिल्लगी

वफाएं तो हम से बहत तुने की थी

मगर दिल्लगी की याद आ रही थी

मिले थे जो तुझ से पेहली दफा हम

प्यार बहत कम थी बोर हो रहे थे

बोरड़म का तु किस्सा बन गयी थी

बोरड़म का तु डब्बा बन गयी है


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