बहत दूर चल दिया है हम ने

बहत दूर चल दिया है हम ने

इस का कोई अंजाम तो होगा

मिले  न  मिले  एक  हम-ख़ुशी

एक नई सुबह की तलाश मुझ को

एक सुबह जो सिखाएगी तिस्नगी

ऐसी  प्यार  की  तलाश  है  मुझ को

जिस  राह  में मुक्कमल हुए  हैं  कुछ

उस  राह की प्यास  है मुझ को

सोचने की फुर्सत मिले ना मिले

एक नइ जींदगी की तलाश है मुझ को

एक ठंडी सी मुलायम रात की

जो करती होगी गुदगुदी

रात की बीत जाने पर एक और तिस्नगी

मिलती है ख़ूबसूरत शम्मा,

बड़े जत्न के साथ

एक और सोच की तलाश है मुझ को

कुछ पल ऐसे होते हैं जिनमे वजूद खो जाती है

पर शांसों की गर्माहट तुम्हे बेहकाती हैं

किसी और से मिलने की ख्वाहिश कभी न थी

पर वक़्त की जरूरतों को बंदगी के नाम दे सकता हूँ

मेरी हस्र ने सहस्र  परेशानिओं को झेला

एक और आ जाए तो शांस नहीं रुक जाएगी

सोच की बात करना मुश्किल थी पर प्यास भी कुछ कम न थी

मेरी कश्ती भी वहीँ डूबी थी जहाँ घास बहत कम थी

पथर से टकराता हूँ  तो जान पे बनआती है

शांसों की छुक छुक में कभी ट्रेन छुट जाती है


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a comment