ये भी एक ढोंगी निकला…
बड़ी बड़ी बातें..
खुद के दल के ऊपर इसका नियत्रंण न रहा…
घुटनु के बल पर रेंगता रहा …
कश्मीर की ध्वनि देके नारा बाजी को सक्त किया…
मुशर्रफ़ का दीमाग का एक चौथाई होता इसमें तो कश्मीर इंडिया का हो चूका होता…
अपने को बेताज बादशाह करने के चक्कर में इसने देश को गुमराह किया…
आड़भानी के डकार से घबराते हो…नींद में हुस्न और शराब के चाहत
भेडियों के कवी बांके (अटल) बिहारी चले देश को रामराज्य बनायेंगे
घी शकर के नदी में डंगा, डंगा में गुमराही, लेकिन वह नदी कश्मीर के नहीं,
damn it, हम तो तुझे सराहते रहे हमे क्या पता तू अपनी *** सराहता रहा