Summer आई पर कुछ रास न आई

Summer आई पर कुछ रास न आई

जींदगी की खुशियाँ हमें कुछ खास न आई

मिलती रही खुशियाँ पल भर की, यहाँ वहां घुमने की ख्वाहिश में

लेकिन बदकिस्मती की तौहीन करते हमें साँस न आई

 

कुछ ऐसे पल भी आए जो यादों के परछाइओं को समेटने में लग गए

अपनी सूरत की हाल बताते हुए मुझे पल भर की प्यास न आई

 

जीवन की तन्हाईआँ रंगोली में भी बदलते रहे

जुबाँ पे मिठास और प्यार सब को पसंद आई

खुशहाली आए और उनके बिदाई भी आई

पर कुछ बारिश के साथ और कुछ अपनों के हाथ लुट गए

सब की कदर करना ये मेरी फिदरत कभी न थी

पर वक्त ने भी क्या रेशम बिछाई

मिले उनसे जो तकलीफ को और आंसुओं को उभरते देखा

सब की मेहफिल में मुझे Physics ज्यादा याद आई


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a comment