करना है दुआ तो अपनों कि कर

करना है दुआ तो अपनों कि कर
भरना है जेब तो शाबाशी से भर
लेनी है इम्तिहान तो ले अपनी बिबेक कि
जाना रहेगा वहाँ जहाँ जाते हैं सौकी
बनना है उल्लू तो पूछ आ उसे भी
क्यों आता है व जब सब रहते हैं बेनज़र


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